Tuesday, November 16, 2010

तेरी मेरी बाते ....


तेरी और मेरी गुफ़्तगु हमारे बीच हि तो थि
तो भी पुरी दुनिया हमारे बीच थि
हम कहा कभी एकान्त मै मिले
तो भी कैसे ये अफ़्वाये हमारे बीच थि
हम एक साथ जिए हर साँस

तब भी एकदूसरे की प्रतीक्षा हमारे बीच थी

हमें तोह सिर्फ ओस की बूंदों मै भीगना था

तब भी समंदर की तमन्ना हमारे बीच थी

याद कर वो पवित्र पाप का एक एक पल

कैसी पूनम की चाँद की चांदनी हमारे बीच थी

एक एक पल दे गया अब वनवास सदीओ का खालीपन

क्या करू

एक पल के लिए मंथरा हमारे बीच थी .....